सिगरेट

 यह दिल की बात है

तूने जो सुनाई है

यह उसी वक्त की सिगरेट है

जिसमें तूने कभी आग लगाई थी

हवा जो तुमने दी 

यह दिल सदा जलता रहा

समय ने उन पलों को समेट कर

कोई कोई हिसाब लिखता रहा 

सत्रह मिनट हुए हैं

इसके रोज़नामचा तो देखो

सत्रह साल ही हैं

इस वक्त से तो पूछो

मेरे इस रूह में 

तुम्हारी सांस चलती रही

आसमान गवाही देगा

तुम साथ चलती रही

उमर की सिगरेट जल गयी,

तेरे इश्क़ की ख़ुशबू

कुछ मेरी सांसों में

कुछ बहारों फिजाओं में मिल गयी,

रहने दो यह आखिरी टुकड़ा है

उंगलियों में से गिरा दो

कहीं मेरी चाहत की आग

तुम्हे स्पर्श न कर ले

चाहत का अब ग़म नहीं

मेरी इश्क़ की चाहत को संभाल लो,

अब एक आरजू है

अब एक और सिगरेट जला लो।।

क्रमशः...

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